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om kleem krishnaay namah mantr ke fayde

om kleem krishnaya namah mantra ke fayde, ॐ क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र कब जपना चाहिए, जानिए कृष्ण वशीकरण मन्त्र के फायदे, किन नियमो का पालन करना चाहिए जप के समय |    अगर जीवन में बार बार असफलता मिल रही है, नौकरी में परेशानी आ रही है, प्रेम जीवन में असफल हो रहे हैं, समाज में मान –सम्मान नहीं मिल पा रहा है, घर में क्लेश रहता है तो ऐसे में कृष्ण वशीकरण मन्त्र का जप बहुत फायदेमंद होता है |  इस मन्त्र में माँ काली और कृष्ण, दोनों की शक्ति समाहित है इसीलिए जपकर्ता को बहुत फायदा होता है | om kleem krinaay namah mantr ke fayde धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने में समर्थ ये मन्त्र ॐ क्लीं कृष्णाय नमः अती उत्तम मंत्रो में से एक है | इस मन्त्र की सिद्धि से जपकर्ता अध्यात्मिक और भौतिक दोनों सुखो को प्राप्त कर सकता है |  श्री कृष्ण भगवान 64 कलाओं में निपुण थे और उनकी माया से सभी परिचित है अतः उनकी कृपा हो जाए तो क्या संभव नहीं हो सकता |  Read in english about om kleem krishnaay namah spell benefits   " ॐ क्लीं कृष्णाय नमः " एक चमत्कारिक मन्त्र है और जप करने वाले को जप के दौरान भी दिव्य अन

laxmi Strotram dhan aur maha sukho ke liye

भव्य सुखों के लिए श्री लक्ष्मी स्तोत्र, जीवन में सुख, शांति और सफलता को आकर्षित करने के लिए दिव्य मंत्र, संस्कृत में श्री लक्ष्मी स्तोत्रम हिंदी अर्थ सहित ।

लक्ष्मी स्तोत्र बहुत ही पवित्र है और जो कोई भी इसे दिन में तीन बार यानि सुबह, दोपहर और शाम को पढ़ता है, वह भगवान कुबेर यानी खजाने के देवता के समान हो जाता है। जो कोई भी इस स्रोत का 5 लाख बार पाठ करता है, वह स्रोत सक्रिय हो जाता है अर्थात सिद्ध हो जाता है और पूर्ण फल देने लगता है। जो कोई भी 1 महीने तक लगातार लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, वह बहुत प्रसन्न होता है।

तो अपने दुखों को दूर करने के लिए, माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए, भव्य सुखों को आकर्षित करने के लिए, हम लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ दिन में 3 बार यानि सुबह, दोपहर और शाम को कर सकते हैं।

भव्य सुखों के लिए श्री लक्ष्मी स्तोत्र, जीवन में सुख, शांति और सफलता को आकर्षित करने के लिए दिव्य मंत्र, संस्कृत में श्री लक्ष्मी स्तोत्रम हिंदी अर्थ सहित ।
laxmi Strotram dhan aur maha sukho ke liye


इन्द्र उवाच

ऊँ नम: कमलवासिन्यै नारायण्यै नमो नम: ।

कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नम: ॥1॥


पद्मपत्रेक्षणायै च पद्मास्यायै नमो नम: ।

पद्मासनायै पद्मिन्यै वैष्णव्यै च नमो नम: ॥2॥


सर्वसम्पत्स्वरूपायै सर्वदात्र्यै नमो नम: ।

सुखदायै मोक्षदायै सिद्धिदायै नमो नम: ॥3॥


हरिभक्तिप्रदात्र्यै च हर्षदात्र्यै नमो नम: ।

कृष्णवक्ष:स्थितायै च कृष्णेशायै नमो नम: ॥4॥


कृष्णशोभास्वरूपायै रत्नपद्मे च शोभने ।

सम्पत्त्यधिष्ठातृदेव्यै महादेव्यै नमो नम: ॥5॥


शस्याधिष्ठातृदेव्यै च शस्यायै च नमो नम: ।

नमो बुद्धिस्वरूपायै बुद्धिदायै नमो नम: ॥6॥


वैकुण्ठे या महालक्ष्मीर्लक्ष्मी: क्षीरोदसागरे ।

स्वर्गलक्ष्मीरिन्द्रगेहे राजलक्ष्मीर्नृपालये ॥7॥


गृहलक्ष्मीश्च गृहिणां गेहे च गृहदेवता ।

सुरभी सा गवां माता दक्षिणा यज्ञकामिनी ॥8॥


अदितिर्देवमाता त्वं कमला कमलालये ।

स्वाहा त्वं च हविर्दाने कव्यदाने स्वधा स्मृता ॥9॥


त्वं हि विष्णुस्वरूपा च सर्वाधारा वसुन्धरा ।

शुद्धसत्त्वस्वरूपा त्वं नारायणपरायणा ॥10॥


क्रोधहिंसावर्जिता च वरदा च शुभानना ।

परमार्थप्रदा त्वं च हरिदास्यप्रदा परा ॥11॥


यया विना जगत् सर्वं भस्मीभूतमसारकम् ।

जीवन्मृतं च विश्वं च शवतुल्यं यया विना ॥12॥


सर्वेषां च परा त्वं हि सर्वबान्धवरूपिणी ।

यया विना न सम्भाष्यो बान्धवैर्बान्धव: सदा ॥13॥


त्वया हीनो बन्धुहीनस्त्वया युक्त: सबान्धव: ।

धर्मार्थकाममोक्षाणां त्वं च कारणरूपिणी ॥14॥


यथा माता स्तनन्धानां शिशूनां शैशवे सदा ।

तथा त्वं सर्वदा माता सर्वेषां सर्वरूपत: ॥15॥


मातृहीन: स्तनत्यक्त: स चेज्जीवति दैवत: ।

त्वया हीनो जन: कोsपि न जीवत्येव निश्चितम् ॥16॥


सुप्रसन्नस्वरूपा त्वं मां प्रसन्ना भवाम्बिके ।

वैरिग्रस्तं च विषयं देहि मह्यं सनातनि ॥17॥


वयं यावत् त्वया हीना बन्धुहीनाश्च भिक्षुका: ।

सर्वसम्पद्विहीनाश्च तावदेव हरिप्रिये ॥18॥


राज्यं देहि श्रियं देहि बलं देहि सुरेश्वरि ।

कीर्तिं देहि धनं देहि यशो मह्यं च देहि वै ॥19॥


कामं देहि मतिं देहि भोगान् देहि हरिप्रिये ।

ज्ञानं देहि च धर्मं च सर्वसौभाग्यमीप्सितम् ॥20॥


प्रभावं च प्रतापं च सर्वाधिकारमेव च ।

जयं पराक्रमं युद्धे परमैश्वर्यमेव च ॥21॥


फलश्रुति:

इदं स्तोत्रं महापुण्यं त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: ।

कुबेरतुल्य: स भवेद् राजराजेश्वरो महान् ॥

सिद्धस्तोत्रं यदि पठेत् सोsपि कल्पतरुर्नर: ।

पंचलक्षजपेनैव स्तोत्रसिद्धिर्भवेन्नृणाम् ॥

सिद्धिस्तोत्रं यदि पठेन्मासमेकं च संयत: ।

महासुखी च राजेन्द्रो भविष्यति न संशय: ॥


॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्तमहापुराणे इन्द्रकृतं लक्ष्मीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥


पढ़िए धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी वाहन मंत्र 


Shree laxmi strotram ka हिन्दी अर्थ :

देवराज इन्द्र बोले – भगवती कमलवासिनी को नमस्कार है देवी नारायणी को बार-बार नमस्कार है संसार की सारभूता कृष्णप्रिया भगवती पद्मा को  नमस्कार है ||1||


पद्मासना, पद्मिनी एवं वैष्णवी नाम से प्रसिद्ध भगवती महालक्ष्मी को बार-बार नमस्कार है ||2||


सर्व्सम्पत्ती को प्रदान करने वाली, सबकुछ देने वाली, सुखदायिनी, मोक्षदायिनी और सिद्धिदायिनी देवी को बारम्बार नमस्कार है ||3||


भगवान श्रीहरि में भक्ति उत्पन्न करने वाली तथा हर्ष प्रदान करने वाली  देवी को बार-बार नमस्कार है भगवान श्रीकृष्ण के वक्ष:स्थल पर विराजमान एवं उनकी ह्रदय में वास करनेवाली देवी को नमस्कार है||4||


श्रीकृष्ण की शोभास्वरुपा हो, रत्नपद्मे और शोभने | सम्पूर्ण सम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी एवं महादेवी को नमस्कार है ||5||


शस्य की अधिष्ठात्री देवी एवं शस्यस्वरुपा हो, तुम्हें बारम्बार नमस्कार है बुद्धिस्वरुपा एवं बुद्धिप्रदान करने वाली को नमस्कार है ||6||


देवि ! तुम वैकुण्ठ में महालक्ष्मी, क्षीरसमुद्र में लक्ष्मी, राजाओं के भवन में राजलक्ष्मी, इन्द्र के स्वर्ग में स्वर्गलक्ष्मी हो ||7||


गृहस्थों के घर में गृहलक्ष्मी, प्रत्येक घर में गृहदेवता, गोमाता सुरभि और यज्ञ की पत्नी दक्षिणा के रूप में विराजमान रहती हो ||8 ||

तुम देवताओं की माता अदिति हो कमलालयवासिनी कमला भी तुम्हीं हो हव्य प्रदान करते समय ‘स्वाहा’ और कव्य प्रदान करने के समय पर ‘स्वधा’ तुम ही हो ||9||


सबको धारण करने वाली विष्णुस्वरुपा पृथ्वी तुम्हीं हो भगवान नारायण की उपासना में सदा तत्पर रहने वाली देवि ! तुम शुद्ध सत्त्वस्वरुपा हो ||10||


तुम में क्रोध और हिंसा के लिए किंचिन्मात्र भी स्थान नहीं है तुम्हें वरदा, शारदा, शुभा, परमार्थदा एवं हरिदास्यप्रदा कहते हैं ||11||


तुम्हारे बिना सारा जगत भस्मीभूत एवं नि:सार है, जीते-जी ही मृतक है, शव के सामान है ||12||


सबके बान्धव रुप में तुम्ही हो| तुम्हारे बिना भाई-बन्धुओं का होना भी संभव नही है ||13||


जो तुमसे हीन है, वह बन्धुजनों से हीन है तथा जो तुमसे युक्त है, वह बन्धुजनों से भी युक्त है तुम्हारी ही कृपा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त होते हैं ||14||


जिस प्रकार बचपन में दुधमुँहे बच्चों के लिए माता है, वैसे ही तुम अखिल जगत की जननी होकर सबकी सभी अभिलाषाएँ पूर्ण किया करती हो ||15||

स्तनपायी बालक माता के न रहने पर भाग्यवश जी भी सकता है, परंतु तुम्हारे बिना कोई भी नहीं जी सकता यह बिलकुल निश्चित है ||16||


हे अम्बिके ! सदा प्रसन्न रहना तुम्हारा स्वाभाविक गुण है अत: मुझ पर प्रसन्न हो जाओ सनातनी ! मेरा राज्य शत्रुओं के हाथ में चला गया है, तुम्हारी कृपा से वह मुझे पुन: प्राप्त हो जाए ||17||


हरिप्रिये ! मुझे जब तक तुम्हारा दर्शन नहीं मिला था, तभी तक मैं बन्धुहीन, भिक्षुक तथा सम्पूर्ण सम्पत्तियों से शून्य था ||18||


सुरेश्वरि ! अब तो मुझे राज्य दो, श्री दो, बल दो, कीर्ति दो, धन दो और यश भी प्रदान करो ||19||

हरिप्रिये ! मनोवांछित वस्तुएँ दो, बुद्धि दो, भोग दो, ज्ञान दो, धर्म दो तथा सम्पूर्ण अभिलषित सौभाग्य दो ||20||


इसके सिवा मुझे प्रभाव, प्रताप, सम्पूर्ण अधिकार, युद्ध में विजय, पराक्रम तथा परम ऎश्वर्य भी दो ||21||

Read in english about Benefits of reciting shree laxmi strotram

फलश्रुति अर्थात श्री लक्ष्मी स्त्रोत्रम के पाठ के फायदे –

 यह स्तोत्र महा पवित्र है इसका त्रिकाल पाठ करने वाला बड़भागी पुरुष कुबेर के समान राजाधिराज हो सकता है पाँच लाख जप करने पर मनुष्यों के लिए यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है यदि इस सिद्ध स्तोत्र का कोई निरन्तर एक महीने तक पाठ करे तो वह महान सुखी एवं राजेन्द्र हो जाएगा, इसमें कोई संशय नही॥


लक्ष्मी स्त्रोत्रम महा पवित्र है और जो भी इसका दिन में 3 बार पाठ करता है अर्थात सुबह, दोपहर और शाम को पाठ करता है वो कुबेर के सामान हो जाता है | जो भी इस स्त्रोत का 5 लाख बार पाठ करता है उसके लिए ये स्त्रोत सिद्ध हो जाता है | जो भी लक्ष्मी स्त्रोत का 1 महीने लगातार पाठ कर लेता है वो महासुखी हो जाता है |

तो अपने दुखो को दूर करने के लिए , माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए, लक्ष्मी पूजा में हम लक्ष्मी स्त्रोत्रम का पाठ कर सकते हैं | 

अगर आप अपनी कुंडली दिख्वाना चाहते हैं , अपने शक्तिशाली ग्रहों और कमजोर ग्रहों के बारे में जानना चाहते हैं, अपने लिए सही पूजा के बारे में जानना चाहते हैं, समस्याओं का समाधान चाहते हैं तो विश्वसनीय ज्योतिषीय सेवाओं के लिए संपर्क करे |

भव्य सुखों के लिए श्री लक्ष्मी स्तोत्र, जीवन में सुख, शांति और सफलता को आकर्षित करने के लिए दिव्य मंत्र, संस्कृत में श्री लक्ष्मी स्तोत्रम हिंदी अर्थ सहित ।

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